By : प्रदीप कुमार नायक
प्रशांत किशोर ने जन सुराज की सोच पर संवाद करते हुए बताया कि इस अभियान के माध्यम से वह लोगों के साथ संवाद स्थापित करना चाहते हैं। प्रशांत किशोर ने कहा, "हमारा उद्देश्य बिहार में एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना है। सत्ता परिवर्तन हमारा मकसद नहीं है। अगर पदयात्रा के बाद सब लोगों की सहमति से कोई दल बनता भी है तो वो बिहार के सभी सही लोगों का दल होगा, प्रशांत किशोर का दल नहीं होगा। सब मिलकर अगर तय करेंगे तो दल बनाया जाएगा। मैं अभी लोगों से बात करने, उनकी समस्याओं को समझने में अपना पूरा वक्त लगा रहा हूं।"
बिहार में 67 प्रतिशत लोगों का मानना है कि प्रदेश में कुछ नया और बेहतर होना चाहिए।
मधुबनी के एक स्थानीय होटल में मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में हमने एक सर्वे कराया। सर्वे में हमने पाया कि 67 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कुछ नया और बेहतर होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हम उन लोगों में से नहीं है जो सिर्फ लड़ने के लिए लड़ते हैं, हम उन लोगों में से हैं जो जीतने के लिए लड़ते हैं। हमारी प्रक्रिया ऐसी होगी कि सभी लोग मिलकर आगे का रास्ता तय करेंगे और यह प्रकिया पूरे तौर पर लोकतांत्रिक एवं सामूहिक होगी। प्रशांत किशोर ने जोर देते हुए कहा कि अगर कोई दल बनता है तो वो प्रशांत किशोर का दल नहीं होगा, वो उन सारे व्यक्तियों का दल होगा, जो इस सोच से जुड़कर इसके निर्माण में संस्थापक बनेंगे।
2 अक्तूबर से पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से शुरू करेंगे पदयात्रा
प्रशांत किशोर ने कहा की वो 2 अक्तूबर से पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से पदयात्रा शुरू करेंगे। इस पदयात्रा के माध्यम से वो बिहार के हर गली-गांव, शहर-कस्बों के लोगों से मुलाकात करेंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे। उनसे समझेंगे कि कैसे बिहार को बेहतर बनाया जा सकता है। पदयात्रा में जब तक पूरा बिहार पैदल न चल लें तब तक वापस पटना नहीं जाएंगे, समाज में रहेंगे, समाज को समझने का प्रयास करेंगे। इसका एक ही मकसद है कि समाज को मथ कर सही लोगों को एक साथ एक मंच पर लाना।
मधुबनी में प्रशांत किशोर ने अलग मिथिला राज्य की मांग पर बड़ा बयान दिया, कहा- राज्य को खंडित करने से किसी का भला नहीं होगा
दो दिवसीय दौरे पर मधुबनी आए प्रशांत किशोर ने अलग मिथिला राज्य के सवाल पर कहा, "बिहार को और खंडित करने से किसी का भला नहीं होगा। पूरा बिहार ही गरीब और पिछड़ा है, चाहे वो मिशिला हो या सीमांचल हो या मगध या पूर्वांचल। सिर्फ मिथिला पिछड़ा है ये कहना ठीक नहीं होगा। मिथिला बिहार की हृदयस्थली है, बिना मिथिला के विकास के बिहार का विकास संभव नहीं है। जब तक नेतृत्व सही लोगों के हाथ में नहीं होगा तब तक छोटे या बड़े किसी भी राज्य का विकास संभव नहीं है।"
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